The Single Best Strategy To Use For baglamukhi sadhna
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१. मुष्क-युग्मकम्= दोनो अण्ड-कोष। सर्व-काम-प्रद एवं समृद्धि-दायक
३८. ॐ ह्लीं श्रीं फं श्रीउमायै नमः – वाम-पार्श्वे (बाईं बगल में)
सत्ये काली च श्रीविद्या, कमला भुवनेश्वरी ।
अर्थात् ‘शत्रु के विनाश के लिए कृत्या-विशेष भूमि में जो गाड़ देते हैं, उन्हें नाश करनेवाली वैष्णवी महा-शक्ति को वलगहा कहते हैं।’ यही अर्थ वगला-मुखी का भी है। ‘खनु अवदारणे ‘ इम धातु से मुख’ शब्द बनता है, जिसका अर्थ मुख में पदार्थ का चर्वण या विनाश ही अभिप्रेत होता है। इस प्रकार शत्रुओं द्वारा किए हुए अभिचार को नष्ट करनेवानी महा-शक्ति का नाम ‘बगला-मुखी’ चरितार्थ होता है। श्रीमहीधर ने इसका स्पष्ट अर्थ ऐसा किया है-
पीयूषोदधि-मध्य – चारु – विलसद् – रत्नोज्ज्वले मण्डपे ।
३. ॐ ह्लीं श्रीं इं श्रीजम्भिन्यै नमः-दक्ष-नेत्रे (दाईं आँख में) ।
हस्ताभ्यां पाशमुच्चैरध उदित-वरां वेद-बाहुं भवानीम् ।।
पीतार्णव-समासीनां, पीत-गन्धानुलेपनाम् ।
१. here ॐ ह्लीं श्रीं अं श्रीबगलामुख्यै नमः – शिरसि (सिर में) ।
‘अदितिः’ अविनाशी-स्वरूप देव-माता ‘उपस्थे’ हम उपासकों के समीप, ‘शिवा’ कल्याण-स्वरूपवाली, ‘अस्तु’ हो।
भगवती बगला के अनेक ‘ ध्यान’ मिलते हैं। ‘तन्त्रों’ में विशेष कार्यों के लिए विशेष प्रकार के ‘ध्यानों’ का वर्णन हुआ है। यहाँ कुछ ध्यानों का एक संग्रह दिया जा रहा है। आशा है कि बगलोपासकों के लिए यह संग्रह विशेष उपयोगी सिद्ध होगा, वे इसे कण्ठस्थ अर्थात् याद करके विशेष अनुभूतियों को प्राप्त करेंगे। चतुर्भुजी बगला
पीनोन्नत-कुचां स्निग्धां, पीतालाङ्गीं सुपेशलाम् । त्रि-लोचनांचतुर्हस्तां, गम्भीरांमद-विह्वलाम् ।।२
५०. ॐ ह्लीं श्रीं ळं श्रीसु-रूपा बहु-भाषिण्यै नमः – हृदयादि मुखे (हृदय से मुख तक)
लसत् – कनक- चम्पक-द्युतिमदिन्दु – बिम्बाननाम् ।।